छत्तीसगढ़ की राजधानी: रायपुर का ऐतिहासिक अनुशीलन

 

डॉ.सरिता दुबे

सहायक प्राध्यापक, इतिहास, शास.स्नातक®त्तर महा.कुरुद, जिला धमतरी

वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर अपने सुदूर अतीत काल में छः टप्पों के बीच बसी 3000 ®पड़ियों से लेकर व्यापारिक मंडी के रुप में ख्याति नाम रहीऐतिहासिक सूत्रों से ज्ञात ®ता है कि विश्न्नि राजवंशों के काल में इस शहर ® राजधानी ®ने का अवसर कश्ी नहीं मिलाकेवल नियंत्रण केंद्र के रुप में इस नगर का ऐतिहासिक उल्लेख मिलता है.  15वसीं सदी में हैहय राजवंश की लहुरी शाखा के शासन के ©रान यह क्ष्®त्र राजधानी बनातब से इसकी विकास यात्रा आरंश् ®कर मराठा काल ब्रिटिश काल में अपने बहुआयामी रुप में गतिमान रहीप्रशासनिक क्ष्®त्र, राष्टन्न्ीय गतिविधियों, नगर की असाहट, जनजागरुकता आदि के रुप में यह विकास पाता रहास्वातंत्र्य®परांत इस शहर का अघ®षित राजधानी के रुप में विकास ®ता रहापृथक छत्तीसगढ़ निर्माण की प्रक्रिया में यह नगर विविध गतिविधियों का केंद्र बिंदू बना रहा.

छत्तीसगढ़ रायपुर ऐतिहासिक अनुशीलन       

 

1 नवम्बर 2000 में निर्मित छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानीरायपुरकी ऐतिहासिक पृष्ठश्ूमि अति प्राचीन है.  9वीं सदी में आबाद इस वर्तमान आधुनिक शहर के विकास से पूर्व अतीत पर दृष्टिपात करें ® पता चलता है कि यह कश्ी छह टप्पों में बसी आबादी थी ® नदी तट तक फैली हुई थीआबादी मूलतः मुंडा प्रजाति के वनवासियों की थी, ® जीविक®पार्जन हेतु प्रकृति प्रदत्त सुविधाओं पर अवलंबित थ्®.  वन एवं जलाशय इनके जीवन के मूलाधार रहे थ्®. वैदिक काल में इन जातियों का समागम क्षत्रिय एवं ब्राम्हण वर्ण से हुआकृषि, बागवानी, पशुपालन के नये स्र® जीविक®पार्जन में जुड़ेशंाति एवं सादगी इनके जीवन के विश्® लक्ष्य रहेसमय के साथ साथ इन बस्तियों का आकुंचन संकुचन चलता रहाजलागारों ने तालाब का रुप ले लिया.  9वीं सदी से आबाद इस शहर का विकास पूर्व काल में व्यापारिक मंडी के रुप में हुआइस शहर की खास विश्®षता यह है कि इसे श्ूपतियों ने नहीं वरन धनपतियों ने संवारा हैप्राचीन काल से ही यह अनाज की बड़ी मंडी रही हैðारवीं सदी में इस क्ष्®त्र से गुजरनेवाले ® अंग्रेज यात्रियों फारेस्टर (1790) एवं ब्लंट (1795) ने इस शहर ® छत्तीसगढ़ का वरदान निरुपित करत्® हुए एक विशिष्ट व्यापारिक केंद्र बतायायहां से हजार® गाड़ियां अनाज प्रतिदिन निजाम राज्य एवं उत्तरी क्ष्®त्रों में श्ेजी जाती थीउन क्ष्®त्रों से नमक लाया जाता था, जिसे यहां के ® समान वजन का चांदी देकर नमक ® लेत्® थ्®.  वर्तमान ईदगाह मैदान स्थल अतीत काल में व्यापारिक उद्देश्य से आनेवाले काफिलों का विश्राम स्थल हुआ करता था एवं दूर दूर तक इसका खुला विस्तार था, जहां रहकर व्यापारी वर्ग लेनदेन का कार्य किया करत्® थ्®.  इसीलिये यह क्ष्®त्र ©दागर पारा श्ी कहलाता रहा थाऐतिहासिक सूत्रों से ज्ञात ®ता है कि आदिकाल के दक्षिण पथ, प्राचीन काल के ®सल दक्षिण ®सल के अंगश्ूत रहे इस अंचल पर संश्वतः 200 बी.सी. पूर्व में सातवाघ्नों उनके पश्चात वाकाटकों, प्रथम सदी में नल वंशियों, ©थी सदी के करीब ®मवंशियों एवं पांचवी एवं छठवीं सदी में शरभपूरिया शासकों के शासन का उल्लेख मिलता है®मवंशी पाण्डुवंशी श्ी कहे गये हैं, जिनका शासक पांचवी, छठवीं सदी में इस क्ष्®त्र पर संचालित था. पांण्डु वंशियों के अवसानोपरांत ही कलचुरीयों (हैहयवंशी) ® इस क्ष्®त्र में काबिज ®ने का अवसर मिला थाइस संपूर्ण अवधि में इस शहर ® राजधानी ®ने का अवसर कश्ी मिला था, इसकी ® जानकारी प्राप्त नहीं हैइतना अवश्य है कि इस ©रान इस वर्तमान आधुनिक शहर के विकास ® बल मिलायहां पर अनेक तालाब बनाये गयेदूधाधारी मंदिर का निर्माण किया गयाहैहयवंश की लहुरी शाखा के राजा सूरदेव के ©त्र ब्रम्हदेव राय ने 1066 ईश्वी सन मेंरायपुर® राजधानी रखा था एवं प्रशासनिक श्वन के रुप मेंगढ़ीका निर्माण करवाया, जिसे इतिहासकार हैहय राज के दक्षिणी हिस्से के देखरेख एवं नियंत्रण हेतु निर्मित श्वन निरुपित करत्® हैंयहां रतनपुर राजा के कुछ राज कर्मचारी सेवाकों सहित निवास करत्® थ्®.  ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार इस गढ़ी ® 15वीं सदी में पुर्ननिर्मित कर पत्थर का किला बनवाया गया था © इसे राजप्रसाद का दर्जा प्रदान किया गया थाप्रतीत ®ता है कि 9वीं सदी से आबाद वर्तमान रायपुर शहर की बुनियाद इसी किले के निर्माण © यहां लहुरी शाखा के स्वतंत्र राज्य स्थापना के समय ही रखी गयी थीराजपरिवार के साथ अनेक परिवार रतनपुर से आकर यहां बसे थ्®.  संश्व है इन परिवारों का व्यवस्थापन किले के इर्द गिर्द हुआ ®.  अट्ठारहवीं सदी के अंतिम दशक में ® अंग्रेज यात्रियों फॉरेस्टर एवं कैप्टन ब्लंट का इस क्ष्®त्र में आगमन हुआ थाइन्होंने अपने यात्रा विवरण में इस किले का जिक्र करत्® हुए लिखा था कि शहर के उत्तर पूर्व में एक किला है, इस किले के पांच दरवाज्® एवं कई बुर्ज सही सलामत है, ® दीवारें जीर्ण ® चुकी है, किले के दक्षिण पश्चिम में 3000 ®पड़ियों की बस्ती हैकाल प्रवाह के साथ मराठा ब्रिटिश काल में जब रायपुर प्रशासनिक मुख्यालय बना तब प्रशासनिक श्वनों के निर्माण में किले के अवश्®षों का उपय® कर इस पुरातात्विक धर®हर के विनाश ® ही मूर्त रुप दिया गयाबीसीवं सदी के पूर्वार्ध तक इस किले के श्ग्नावश्® स्पष्ट दिखाई पड़त्® थ्® जिन पर वर्तमान शीतला, बुढ़ेश्वर, महामाया मंदिर से संलग्न बाग आदि इसी किले के परक®ेेटे के अंदर विकसित हुएवर्तमान में इस स्थल पर किलेवाले बाबा का मजार है.

9वीं सदी में इस शहर की भौगोलिक स्थिति प्रदेष के देषांष पूर्व में 20 से 22.40 उत्तरी अक्षांष एवं 80.30 से 83.30 पूर्वी देषांष की बीच अवस्थित माना गया अट्ठारवी सदी के उतरार्ध में इस शहर की आबादी किले के दक्षिण पश्चिम की ® पुरानीबस्ती, लाख्®नगर, (पूर्व नाम ©दागर पारा), अमीन पारा (रंगरेज पारा), गांवों के रुप में डंगनिया, खुशालपुर, शठागांव, चंग®राशठा रायपुरा के रुप में नदी तट तक विस्तारित ®ती चली गयीबुढ़ेश्वर महादेव मंदिर के सामने से शीतला मंदिर, अमीनपारा थाना © से गुजरनेवाली सड़क ® कंकाली तालाब के सामने से ®कर कंकाली अस्पताल © ® पारकर तात्यापारा, बढ़ई पारा, रामसागर पारा के बीच से गुजरती हुई गुढ़ियारी की ® जाती थीयह शहर का पुराना राजपथ था वर्तमान अमीन पारा अपने अतीत में इस क्ष्®त्र में निवासरत मुसलमानों के कपड़ा रंगने के व्यवसाय ® जीविक®पार्जन साधन के रुप में अपनाता रहा था, इसलिये यह क्ष्®त्र रंगरेज पारा के नाम से पहचाना जाता रहा थामराठा ब्रिटिश काल में यहां के रिहायशी क्ष्®त्रों का विकास हुआइस ©रान शहर की आबादी में मुसलमानों एवं मराठी जनों का समागम हुआपरिणामतः ईदगाह शठा, तात्यापारा, बैजनाथ पारा, ®टा पारा आदि मुहल्लों का निर्माण हुआवर्तमान कमासी पारा में मराठों का प्रशासनिक कार्यालय स्थापित किया गया था © इसके समीप ही कमाविशदारों के श्वन निर्मित किये गये थ्®.  संश्वतः कमासी कमाविशदार शब्द का परिवर्तित नाम ®. ब्रिटिश हुकूमत के ©रान सदरबाजार, बैरनबाजार,सिविल लाईन आदि का विकास हुआ बीसवीं सदी में इस शहर की आबादी का यहाँ तीव्र विकास हुआ.  1901 में रायपुर की आबादी 20-22 हजार थी, ® 1991 में बढ़कर 461851 ® गयीआबादी में वृद्धि का मूल कारण इस शहर की व्यापारिक उपय®गिता एवं छत्तीसगढ़ क्ष्®त्र का नव ©द्य®गिक कलेवर रहा है.

 

रायपुर शहर ® छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी कहने में ® अतिशय®क्ति नहीं ®गीऐतिहासिक सूत्र सिद्ध करत्® हैं कि छत्तीसगढ़ अंचल उत्तरीय एवं दक्षिणीय शरतीय जनजीवन के रीतिरिवाज सांस्कृतिक मूल्यांे का अतीत काल से सम्मिलन स्थल रहा हैइस अंचल के संपूर्ण सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन मूल्यों ® इस नगर से ही दिशानिर्देश समय समय पर मिलत्® रहे हैं.

 

19वीं सदी के उत्तरार्ध में मराठा एवं ब्रिटिश प्रश्ुत्व काल में प्रशासनिक मुख्यालय के रुप में इस क्ष्®त्र ® विकास के अनेक अवसर मिले.  1854 में नागपुर पर ब्रिटिश प्रश्ुत्व स्थापना पश्चात इस क्ष्®त्र का उपय® छत्तीसगढ़ के प्रथम प्रशासनिक मुख्यालय के रुप में हुआज्®न्किंस, ऐग्न्यू, टेम्पल यहां के प्रारंश्कि उच्चाधिकारी रहे थ्®.  इन अधिकारियों ने अपने प्रशासनिक रिप®र्टाें में यहां का विस्तृत विवरण अंकित किया है.  1881 के जनगणना रिप®र्टों के अनुसार तत्कालीन मध्य प्रांत के 4 संशगों में छत्तीसगढ़ एक संशग था, जिसका संशगीय मुख्यालय रायपुर ही थाकालांतर में रायपुर संशग के 5 जिलों रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, श्ंडारा, बालाघाट एवं 1948 में गठित बस्तर, रायगढ़ सरगुजा जिले श्ी इसी मुख्यालय से सम्बद्ध किये गये थ्®.  ज्ञातव्य है कि अंग्रेजी हुकूमत ने देशी रियासतों पर नियंत्रण हेतु जिस®लिटिकल विशगका गठन किया था, इसके ®लिटिकल एजेंट® का प्रारंश्कि मुख्यालय श्ी रायपुर के राजकुमार कॉलेज श्वन में था.  1 नवम्बर 1956 ® जब मध्यप्रांत का प्रशासनिक पुनर्गठन हुआ ® छत्तीसगढ़ के सात जिले (4 बिलासपुर के 3 रायपुर के) रायपुर से सम्बध रहे. कालांतर में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की पृष्ठश्ूमि में यह शहर अघ®षित रुप से छत्तीसगढ़ राज्य की शवी राजधानी के रुप में विकास पाता रहा.

 

19वीं सदी के उत्तरार्ध में स्वातंत्र्य समर का सूत्रधार श्ी यही नगर रहा थाआंद®लन की लहरे यहां से उठकर पूरे छत्तीसगढ़ में विस्तारित ®ती रही थी चाहे 1857 की क्रांति का क्ष्®त्रीय प्रशव ® चाहे गांधी की आंधीस्वाधीनता संग्राम की हर राष्टन्न्ीय घटना के तार यहां से जुड़े®नाखान विद्र® के नेतृत्वकर्ता वीर नारायण सिंह की कारावास अवधि एवं फांसी की सजा का यह क्ष्®त्र गवाह बनाइसी कड़ी में लश्कर हनुमान सिंह द्वारा तत्कालीन ®तवाली (©दहापारा) में 18.1.1958 ® मेजर सिडवेल पर वार, समीपस्थ पुलिस छावनी के सिपाहियों ® ब्रिटिश दमन नीति के खिलाफ जागरुक करने की ®शिश, पश्चात कैप्टन इलियट के आवास पर धावा, जिसका उल्लेख स्मिथ अपने प्रतिवेदन में करत्® हैंक्रांति की क्ष्®त्रीय अश्व्यिक्ति की इन ®नों घटनाओं में ब्रिटिश प्रशासन की दमन नीति दृष्टिग®चर ®ती है. इसी सदी के उत्तरार्ध में जब सारा देश सामाजिक एवं धार्मिक पुनर्जागरण के © से गुजर रहा था ® रायपुर शहर के जनजीवन में ©द्धिक, श्©क्षणिक, सांस्कृतिक ख्® शवना का विकास एवं सामाजिक कुरीतियों ® दूर करने का लक्ष्य लेबाल समाजएवंआनंद समाजका गठन हुआसमाज में व्याप्त बुराईयों ज्©से टीका, कूड़ा एवं पर®सा प्रथा ® समाप्त कर समाज में जागृति लाने के उद्देश्य से, स्वस्थ समाज के निर्माण की दृष्टि से विविध गतिविधियों के आय®जन ® प्र®त्साहित किया गयापरिणामस्वरुप बाल समाज वाचनालय, प्राथमिक शाला, कुआं निर्माण सदर बाजार में महावीर पुस्तकालय, हिंदू स्प®र्टिंग मैदान निर्माण, आनंद समाज वाचनालय आदि का अस्तित्व उश्र कर सामने आया. राष्टन्न्ीय आद®लन के ©रान ये ®नों पुस्तकालय आंद®लनकारी गतिविधियों की ®जना बनाने एवं उस पर चिंतन मनन एवं आय®जन के केंद्र श्ी बने जहां पर तिलक के उग्रवादी विचारों ® सक्रिय समर्थन एवं तिलक स्वराज्य ® का संचय किया गया थाराष्टन्न्ीय जनजागरण की दिशा में मालिनी रीडिंग क्लब, पीपुल्स टीचर्स एस®सियेशन की स्थापना, राष्टन्न्ीय कांगेस की नगर शाखा की स्थापना, माधवराव सप्रे द्वारा रायपुर सेहिंद केसरीका प्रकाशन, राष्टन्न्ीय आंद®लनात्मक गतिविधियों में आम जनों की शगीदारी की शुरुआत पहली बार इसी नगर से हुई थी. जब 29 मार्च 1907 ® तृतीय राजनैतिक सम्मेलन में नगरवासियों की सामूहिक शगीदारी हुईकिंतु ब्रिटिश हुकूमत द्वारा प्रतिबंधितवंदेमातरमगान से सम्मेलनारंश् ® लेकर निर्मित विवादों तले रायपुर में श्ी नरम दल गरम दल संबंधी विचारधारणायें क्ष्®त्रीय कांग्रेस में उश्री एवं इसी समय से स्थानीय नेतृत्व श्ी तीन शगों में बंट गया - प्रथम - टाऊन हाल, द्वितीय आनंद समाज पुस्तकालय एवं तृतीय पंडित रविशंकर शुक्ल का निवास स्थान बूढ़ापारा इन तीनों ® केंद्र बना राष्टन्न्ीय गतिविधियों का संचालन होता रहा शीघ्र ही सशó क्रांति की लहर श्ी इस नगर में बहने लगीबंगाल से आये क्रांतिकुमार शरतीय के सानिध्य एवं प्रशव से क्रांतिकारी विचारधारा तले क्रांतिकारी गतिवधियों का श्ी संचालन इस क्षेत्र में हुआ   गांधी युगीन जन आंद®लनों के कार्यक्रमों ज्©से चुनाव बहिष्कार, मद्य निष्® एवं विदेशी बहिष्कार संबंधी धरना प्रदर्शन, स्वदेशी शिक्षा नीति, राष्टन्न्ीय पंचायत का गठन कर मुकदमों का निपटारा, खादी का प्रचार, वानर सेना का गठन, रायपुर जिला परिषद के माध्यम से राष्टन्न्ीय संचेतना का प्रसार महात्मा गांधी का नगरागमन, रायपुर षडयंत्र केस, युवा नेतृत्व मंे शरत ®® आंद®लन के उग्र रुप क्ष्®त्रीय नेतृत्वों के नियत्रण में संचालित ®त्® रहे, जिनमें बालक वर्ग से लेकर वृद्धजनों तथा महिलाओं की श्ी शगीदारी रहीदेश की स्वाधीनता की बेला में जब संपूर्ण देश जश्ने आजादी में डूबा हुआ था, रायपुर शहर इससे अछूता रहासंपूर्ण जिला तहसील नगर में स्वाधीनता दिवस का आय®जन हुआशासकीय श्वनों ® सजाया संवारा गया, गांधी ©, लारी स्कूल (सप्रे स्कूल), कांग्रेस श्वन आदि में ध्वजार®हरण, प्रशत फेरी, आम सश का आय®जन, रायपुर के हृदयस्थल में विजय स्तंश् का शिलान्यास किया गया ® वर्तमान में जयस्तंश् चैक कहलाता है.

इस तरह सुदूर अतीत काल से राजधानी बनने के पूर्व तक रायपुर शहर के विस्तार पर दृष्टिपात करें ® ज्ञात ®ता है कि 9वीं सदी से आबद यह शहर छः टप्पों (खाईयों) के बीच लगश्ग 3000 ®पड़ियों की बस्ती थीकाल प्रवाह में बस्तियां उजड़ती गई © जलागारों ने तालाब का रुप ले लियाबीसवीं सदी के पूर्वार्ध में यह शहर तालाबों के लिए विख्यात रहा® इसे तालाबों की बस्ती श्ी कहा करत्® थ्®.  आज श्ी श्® बचे तालाबों की स्थिति ® देख कर उल्लिखित टप्पों का सहज अनुमान लगाया जा सकता हैविविध राजवंशों द्वारा शासित इस शहर ® राजधानी ®ने का ©रव कश्ी प्राप्त नहीं हुआहैहय राजवंश की लहुरी शाखा के काल में ब्रम्हदेव राय के काल में इस क्ष्®त्र का नाम रायपुर पड़ा एवं हैहय राज्य की देखरेख नियंत्रण केंद्र के रुप में विकसित हुआस्व.®चन प्रसाद पाण्डेय के विष्णु यज्ञ स्मारक ग्रंथ के अनुसार 1437 में यह शहर छत्तीसगढ़ की राजधानी बनामराठा ब्रिटिश काल में इस क्ष्®त्र का प्रशासनिक विकास हुआदेश के स्वाधीनता संग्राम की कड़ी में उग्रवाद का प्रसार, विश्न्नि आंद®लनकारी गतिविधियों का संचालन, पत्रकारिता का विकास, धरना प्रदर्शन, आम सश एवं क्रांतिकारी गतिविधियों के द्वारा स्वतंत्र राष्टन्न् निर्माण में रायपुर संपूर्ण छत्तीसगढ़ का केंद्र बिंदु बना रहास्वातंत्रय®परांत छत्तीसगढ़ के विकास की दिशा में प्रयासरत तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल ने रायपुर के श्©क्षणिक एवं प्रशासनिक विकास के द्वारा इसके शवी राजधानी बनने का मार्ग प्रशस्त किया.

संदशर्् ग्रंथ  -

(1)          शुक्ला, स्व.सत्यनारायण - ’अश्शिप्त छत्तीसगढ़ - रजिस्टर क्रं.02

(2)          शुक्ल अश्निंदन ग्रंथ, इतिहास खंड

(3)          मिश्रा, रमेंद्र नाथ - छत्तीसगढ़ का राजनैतिक सांस्कृतिक इतिहास

(4)          रायपुर डिस्टिन्न्क्ट गज्®टियर पृ. 23 24

(5)          कैप्टन ब्लंट का यात्रा विवरण, 1795

(6)          मध्यप्रदेश एवं गांधी जी - गांधी शताब्दी समार® 1969

(7)          Archiological Survey of India Vol-XVIII P-N- 77 to 84

 

 

Received on 16.08.2016       Modified on 28.08.2016

Accepted on 20.09.2016      © A&V Publication all right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(3): July-Sept., 2016; Page 193-196